बरसै बुंदियाँ सावन की,
सावन की मनभावन की।
सावन की मनभावन की।
(१)
सावन में उमग्यो मेरो मन,
भनक सुनी हरि आवन की।
सावन में उमग्यो मेरो मन,
भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़ घुमड़ चहुं दिसि से आयो,
दामनि दमके झर लावन की।
दामनि दमके झर लावन की।
बरसै बुंदियाँ सावन की,
सावन की मनभावन की।
सावन की मनभावन की।
(२)
आ~~~~
नन्हीं नन्हीं बूंदन मेहा बरसै,
सीतल उपवन सोहावन की।
आ~~~~
नन्हीं नन्हीं बूंदन मेहा बरसै,
सीतल उपवन सोहावन की।
मीराके प्रभु गिरधर नागर,
आनंद मंगल गावन की।
आनंद मंगल गावन की।
बरसै बुंदियाँ सावन की
सावन की मनभावन की।।
सावन की मनभावन की।।
-मीराबाई