Saturday, February 1, 2014

Banke bolo to shi - बांके बोलो तो सही,पर्दा खोलो तो सही

[बाके बोलो तो सही,
परदा खोलो तो सही,
तेरे द्वारे पुजारिन कब से खड़ी]-3
तेरे द्वारे पुजारिन कब से खड़ी-3
गोविन्द...........~
मै सूर नही, नरसी नहि नामा-2
प्यारे नही रविदास उदासी,
मीरा नही, मै तो एक भिखारिन,
तेरे दरस की प्यासी, प्यारे तेरे दरस की प्यासी
पांचाली नहि, ब्रज की गोपिका-2
मै तो अधम कुस्चली दासी-2,
बहुत जनम की बिछुड़ी तुमसे-2
होए न अबकी हासी, होए न अबकी हासी
ऐसा प्यार भरो नस नस में-2,
मेरा रहे चरण ध्यान-2
मोहन, तुम ही हो मेरे प्राण, तुम ही हो मेरे प्राण,
[बाके बोलो तो सही,
परदा खोलो तो सही,
तेरे द्वारे पुजारिन कब से खड़ी]-3
तेरे द्वारे पुजारिन कब से खड़ी-3
-श्री विनोद अग्रवाल जी